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मीडिया लाउंज

आरईसी ने चौथे री-इन्वेस्ट के दौरान ₹ 1.12 लाख करोड़ के लिए आरई डेवलपर्स के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
तारीख 18-09-2024

गांधीनगर/गुरुग्राम: विद्युत मंत्रालय के तहत एक महारत्न सीपीएसयू और एक प्रमुख एनबीएफसी आरईसी लिमिटेड ने गांधीनगर में चौथे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो (री-इन्वेस्ट 2024) के दौरान आरई डेवलपर्स के साथ लगभग 1.12 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे 5 वर्षों की अवधि में कार्यान्वित किया जाएगा।

समझौता ज्ञापनों में सौर और पवन हाइब्रिड परियोजनाओं, सौर और पवन राउंड द क्लॉक (आरटीसी) परियोजना, फर्म और डिस्पैचेबल आरई (एफडीआरई) बिजली, फ्लोटिंग सोलर प्लांट, अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क, हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट, बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बेस), पंप स्टोरेज, हाइड्रोपावर, ग्रीन अमोनिया/हाइड्रोजन, सोलर सेल/मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग और अन्य अभिनव तकनीकों पर आधारित परियोजनाएं शामिल हैं। ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर, विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरिंग, ईवी इकोसिस्टम सहित संबंधित चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के वित्तपोषण के लिए भी चर्चा चल रही है। इसके अलावा, आरईसी शीर्ष रेटेड ऑफटेकर वाले सीएंडआई सेगमेंट के लिए डेवलपर्स द्वारा रिन्यूएबल परियोजनाओं पर विचार करने के लिए भी खुला है।

आरईसी ने इस आयोजन में भाग लिया और कई प्रमुख हितधारकों और अग्रणी आरई डेवलपर्स के साथ व्यापारिक चर्चा की। आरईसी की योजना 2030 तक देश की स्थापित गैर जीवाश्म आधारित उत्पादन क्षमता को 200 गीगावाट से 500 गीगावाट तक पहुंचाने की यात्रा में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने का है। आरईसी ने 2030 तक अपनी अक्षय ऊर्जा ऋण पुस्तिका को 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक तक बढ़ाने के लिए 'शपथ पत्र' के माध्यम से वित्तीय प्रतिबद्धता जताई है। इससे 2030 तक अक्षय ऊर्जा का हिस्सा मौजूदा 8% से बढ़कर 30% हो जाएगा, क्योंकि आरईसी की ऋण पुस्तिका 2030 तक 10 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। यह शपथ पत्र आरईसी के सीएमडी श्री विवेक कुमार देवांगन, आईएएस द्वारा श्री प्रहलाद जोशी, माननीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा कैबिनेट मंत्री को सौंपा गया।

शपथ पत्र सौंपने के बाद, आरईसी के सीएमडी ने आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गोवा के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में 3 लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण की अपनी महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता के लिए केन्द्रीय मंत्री से मान्यता प्राप्त की।

आरईसी लिमिटेड के बारे में-

आरईसी भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक 'महारत्न' कंपनी है, और आरबीआई के साथ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी), सार्वजनिक वित्तीय संस्थान (पीएफआई) और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी (आईएफसी) के रूप में पंजीकृत है। आरईसी पूरे विद्युत-अवसंरचना क्षेत्र को वित्तपोषित कर रहा है जिसमें उत्पादन, पारेषण, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और नई प्रौद्योगिकियां जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, पंप भंडारण परियोजनाएं, ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया परियोजनाएं आदि शामिल हैं। हाल ही में आरईसी लिमिटेड ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी विविधता लाई है जिसमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, आईटी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक अवसंरचना (शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह और इस्पात, रिफाइनरी आदि जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्रों के संबंध में इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ईएंडएम) कार्य शामिल हैं।

आरईसी लिमिटेड देश में अवसंरचना परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्य, केंद्र और निजी कंपनियों को विभिन्न परिपक्वताओं के ऋण प्रदान करता है। आरईसी लिमिटेड बिजली क्षेत्र के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका निभा रहा है और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), राष्ट्रीय विद्युत निधि (एनईएफ) योजना के लिए नोडल एजेंसी रही है, जिसके परिणामस्वरूप देश में अंतिम मील वितरण प्रणाली, 100% गांव विद्युतीकरण और घरेलू विद्युतीकरण को मजबूत किया गया है। आरईसी को कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पुन: व्यवस्थित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के लिए नोडल एजेंसी भी बनाया गया है। आरईसी को केंद्र सरकार की ओर से पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की जिम्मेदारी भी दी गई है। 30 जून, 2024 तक आरईसी की ऋण पुस्तिका ₹ 5.30 लाख करोड़ और नेटवर्थ ₹ 72,351 करोड़ है।

 

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