वित्तीय उत्पाद
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दीर्घकालिक ऋण
- मध्यावधि ऋण
- अल्पावधि ऋण
- ऋण पुनर्वित्तीयन
- इक्विटी वित्तपोषण
- विद्युत क्षेत्र के लिए उपकरण विनिर्माण (ईएम) हेतु वित्तपोषण
- कोयला खदानों का वित्तपोषण
- विद्युत यूटिलिटियों की विनियामक परिसंपत्तियों (इक्विटी घटक को छोड़कर) के संबंध में वित्तीयन के लिए नीति
- रिवॉल्विंग बिल भुगतान सुविधा (आरबीपीएफ)
- ऋण नीति परिपत्र
- उपभोक्ता जागरूकता
इक्विटी वित्तपोषण
वित्तीय सहायता की प्रकृति
सावधि ऋण/गारंटी सहायता का विस्तार या तो नई विद्युत परियोजना में इक्विटी डालने अथवा किसी विद्यमान विद्युत परियोजना के अधिग्रहण के प्रयोजन हेतु किया जाता है। विद्युत परियोजना में उत्पादन, ट्रांसमिशन तथा वितरण परियोजनाएं शामिल हैं।
पात्र लेनदार
विद्युत क्षेत्र में सभी विद्यमान लेनदार चाहे सरकारी हों या निजी, इसमें राज्य सरकारें और राज्य सरकारों की धारक/निवेश कंपनियां शामिल हैं।
पात्रता मानदण्ड
क. आरईसी के मितव्ययता मानदण्डों के अनुसार बैंक निवेश की उपलब्धता।
ख. लेनदार आरईसी की बहियों में एक मानक परिसंपत्ति होना चाहिए।
ग. नई परियोजना हेतु आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किए गए होने चाहिए।
घ. निजी निकाय के मामले में, पात्र लेनदार आरईसी के एकीकृत परियोजना रेटिंग मॉडल के अनुरूप होना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, निजी लेनदारों के मामले में इस सुविधा के अंतर्गत सहायता केवल उन कारपोरेट निकायों को मुहैया करवाई जाएगी जिनके पास विद्यमान विद्युत परियोजनाएं हैं और जिन्हें नई/विस्तार विद्युत परियोजनाओं में इक्विटी निवेश हेतु निधियों की आवश्यकता है, तथा ऐसा ऋण के अंत उपयोग की कड़ी निगरानी के साथ किया जाएगा।
वित्तपोषण की सीमा
वित्तपोषण की सीमा का निर्धारण मूल्यांकन के आधार पर किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लेनदार के नकदी प्रवाह कुल ऋण को संतोषजनक रूप से पूरा करने के लिए पर्याप्त है। संभव सीमा तक निम्नलिखित वित्तपोषण की मात्रा के निर्धारण हेतु मार्गदर्शी कारकों के रूप में कार्य करेंगे -
(क) लेनदार के केन्द्रीय/राज्य क्षेत्र की उपयोगिता होने के मामले में जो विद्यमान तुलन-पत्र अथवा किसी एसपीवी के माध्यम से नई विद्युत परियोजना को स्थापित करने की इच्छा रखती हो, वित्तपोषण की सीमा अप्रतिबद्ध अधिशेष के वर्तमान मूल्य के 50 प्रतिशत तक सीमित होगी जिसमें चालू की गई परियोजना का इक्विटी पर प्रतिफल (आरओई) शामिल होगा जिसकी गणना प्रस्तावित ऋण अवधि अथवा चालू की गई परियोजना के शेष उपयोगी डिजाइन काल में से जो अवधि कम हो, उस पर की जाएगी। केवल उन्हीं चालू परियोजनाओं पर विचार किया जाएगा जिनका तीन माह का संतोषजनक प्रचालनात्मक इतिहास है। इसके अतिरिक्त, 4:1 अथवा कम के डी/ई और 1.15 या अधिक के औसत डीएससीआर को लेनदार निकाय हेतु मूल्यांकन के समय अतिरिक्त ऋण के प्रभाव को ध्यान में लेने के पश्चात सुनिश्चित किया जाएगा।
(ख) ऋण राज्य सरकार/धारक कंपनी/निवेश कंपनी जिसका 100 प्रतिशत स्वामित्व राज्य सरकार का हो अथवा किसी केन्द्रीय/राज्य उपयोगिता को संयुक्त उद्यम परियोजनाओं में निवेश हेतु मुहैया करवाए जाने के मामले में, वित्तपोषण की सीमा आरईसी को स्वीकार्य एक अवधि हेतु ऐसे लेनदारों को उपलब्ध चिन्हित किए जाने योग्य मुक्त नकदी प्रवाहों के 50 प्रतिशत तक सीमित होगी। मुक्त नकदी प्रवाह की प्रकृति मुक्त विद्युत राज्सव, लाभांश, रायल्टी आदि वाली होगी।
उपर्युक्त (क) तथा (ख) में प्रयुक्त छूट दर लेनदारों की "क" श्रेणी हेतु "सावधि ऋणों" पर लागू ब्याज दर होगी।
(ग) लेनदार के निजी क्षेत्र का कोई निकाय होने के मामले में वित्तपोषण की मात्रा का निर्धारण ऋणदाताओं के साथ उसके ट्रैक रिकार्ड और कम से कम 3 माह के संतोषजनक प्रचालनात्मक इतिहास वाली चालू परियोजनाओं से लेनदार के उपलब्ध अधिशेष के आधार पर की जाएगी और ऐसा इस तरीके से किया जाएगा कि लेनदार का प्रक्षेपित न्यूनतम डीएससीआर 1.2 से अधिक बना रहे और डी/ई अनुपात ऋण अवधि के दौरान 3:1 की सीमा का उल्लंघन न करें। उक्त वर्णित न्यूनतम डीएससीआर और अधिकतम डी/ई आवश्यकताओं का निर्धारण वित्तीय प्रसंविदाओं के रूप में भी किया जाएगा। इसके अतिरकत, 4:1 के उच्चतर डी/ई की अनुमति आरटीएल हेतु 4:1 नीति के अंतर्गत पात्रता हेतु आरईसी की नीति के भीतर होने पर दी जा सकती है।
बाद में, एकीकृत रेटिंग और समर्थक सुरक्षा की उपलब्धता का उपयोग भविष्य के वित्तपोषण की सीमा के निर्धारण हेतु आदान के रूप में भी किया जा सकता है।
(घ) परियोजनाओं का पुनर्मूल्यांकन वर्तमान निष्पादन और वास्तविक स्थिति के आधार पर किया जाना चाहिए।
(ङ) लेनदारों की सभी श्रेणियों हेतु इस सुविधा के अंतर्गत वित्तीय सहायता नई/अधिगृहीत परियोजना की कुल इक्विटी आवश्यकता के 50 प्रतिशत तक सीमित होगी।
(च) किसी लेनदार द्वारा विद्युत परियोजना के अधिग्रहण के मामले में अधिग्रहण की जा रही परिसपंत्ति के मूल्यांकन पहलुओं पर लेनदार हेतु ऋण राशि का निर्णय करते समय विचार किया जाएगा।
(छ) किसी लेनदार हेतु समग्र स्वीकृति सीमा 750 करोड़ रूपये होगी।
सुरक्षा
आरईसी मूल्यांकन पर निर्भर करते हुए निम्नलिखित में से किसी एक अथवा अधिक की सुरक्षा के आधार पर वित्तीय सहायता मुहैया करवाएगा -
(क) प्राथमिक सुरक्षा
- चालू परियोजना की चल तथा अचल परिसंपत्तियों पर प्रथम/द्वितीय समरूप प्रभार
- राज्य सरकार की गारंटी
- अधिशेष और नःशुल्क/आवंटित विद्युत से उत्पन्न होने वाले भाराक्रांत रहित राजस्व पर प्रभार
- टीआरए के लाभांश वितरण खाते पर प्रभार
- कोई अन्य स्वीकार्य सुरक्षा
(ख) समर्थक सुरक्षा
- प्रमोटरों की व्यक्तिगत गारंटी/कारपोरेट गारंटी
- विद्यमान शेयरों को रेहन रखना अर्थात मूल कंपनी या नई कंपनी यथा विद्युत परियोजना की स्थापना हेतु सृजित एसपीवी।
- चालू किए जाने के अधीन होने वाली परियोजनाओं की चल तथा अचल परिसंपत्तियों पर प्रथम/द्वितीय समरूप प्रभार
- अन्य कोई स्वीकार्य सुरक्षा
(ग) भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम)
पीएसएम को लेनदार के साथ परामर्श से विभिन्न विकल्पों जैसे कि एसक्रो कवर, चतुर्पक्षीय समझौता जिसमें लेनदार के बैंकर तथा साथ ही साथ विद्युत खरीदने वाले पक्षकार होंगे, पीपीए को सौंपा जाना, विद्युत की बिक्री पर प्रभाव आदि के अनुरूप विकसित किया जाएगा।
ऋण अवधि तथा ऋण स्थगन
10 वर्ष की अधिकतम अवधि पर्याप्त नकदी प्रवाहों की उपलब्धता के अधीन अनुमेय होगी। द्वार से द्वार परिपक्वता (अर्थात मूलधन हेतु स्थगन अवधि + चुकौती अवधि) चालू परियोजना के शेष उपयोगी डिजाइन काल के 80 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। परियोजना के विभिन्न प्रकारों के मानदंड संबंधी डिजाइन काल पर सीईआरसी मानदण्डों के अनुसार विचार किया जाएगा।
सामान्यतः मूलधन की चुकौती हेतु ऋण समाप्ति की तिथि से अधिकतम 6 माह तक की अवधि हेतु स्थगन अवधि अनुमेय की जाएगी। ब्याज भुगतान हेतु कोई स्थगन मुहैया नहीं करवाया जाएगा। इस सुविधा के अंतर्गत किसी विशिष्ट ऋण को बहु परियोजनाओं हेतु किसी विद्युत उपयोगिता को स्वीकृत किए जाने के मामले में, ऋण समाप्ति तिथि और पहली चुकौती तिथि को संवितरण की प्रत्येक वर्ष-वार खेप हेतु पृथक रूप से निर्धारित किया जाएगा।
संवितरण प्रक्रिया
संवितरण को विद्युत परियोजना की इक्विटी प्रवाह आवश्यकताओं के आधार पर किया जाएगा।
सरकारी क्षेत्र की परियोजनाएं
(क) संवितरण आपूर्तिकार को सीधे भुगतान अथवा लेनदार को प्रतिपूर्ति के माध्यम से किया जा सकता है।
(ख) जहां-कहीं टीआरए मौजूद हो वहां निधियां सीधे टीआरए को जारी की जाएंगी।
(ग) आरईसी द्वारा परियोजना विकास के प्रति ऋण के संवितरण के मामले में उक्त को इस ऋण में परिवर्तित किया जा सकता है।
(घ) आरईसी इस सुविधा के अंतर्गत निधियों का वर्ष-वार संवितरण केवल तब ही करेगा जब लेनदार ने प्रलेखन के समय सहमति के अनुसार निधियों की अपनी वार्षिक प्रतिबद्धता का व्यय कर लिया है।
निजी क्षेत्र की परियोजनाएं
(क) निधियों का संवितरण टीआरए के माध्यम से किया जाएगा। संवितरण के समय का निर्णय मामला-दर-मामला आधार पर आकलन तथा आवश्यकता पर निर्भर करते हुए लिया जाएगा।
(ख) नई परियोजना के वित्तीय समापन का होना इस सुविधा के अंतर्गत वित्तीय सहायता के विस्तार हेतु एक संवितरण-पूर्व शर्त होगी। यदि कई नई परियोजनाएं हैं तो प्रत्येक का संवितरण उसके वित्तीय समापन से संयोजित होगा।
(ग) निधियों के उपयोग की निगरानी नई परियोजना हेतु लेनदार के अभियंता तथा उसके वित्तीय सलाहार से रिपोर्ट मंगवाकर भी की जाएगी।
ब्याज दर
इस ऋण पर ब्याज दर मूल्यांकन, पेशकश की गई सुरक्षा, लेनदार द्वारा सहमत वित्तीय प्रसंविदाओं आदि पर निर्भर करते हुए प्रश्नगत लेनदार की श्रेणी/ग्रेड हेतु "सावधि ऋणों" के लिए लागू ब्याज दर से संयोजित होंगी।
मानक निबंधन एवं शर्तें
ऊपर उल्लिखित के अतिरिक्त रूपया ऋण के सभी मानक निबंधन और शर्तें तथा प्रभार/शुल्क यथोचित परिवर्तन के साथ इस योजना पर लागू होंगे।